श्रुतकीर्ति

on Sunday 3 July 2016
मिथिला के राजा जनक के भाई थे कुशध्वज। कुशध्वज के दो पुत्रियां थी-माण्डवी और श्रुतकीर्ति। राजा जनक ने जब सीता-स्वयंवर का आयोजन किया और राम-सीता का विवाह सम्पन्न हुआ। उस अवसर पर जनक ने अपनी महारानी सुनयना पर जनक ने अपनी महारानी सुनयना की कोख से उत्पन्न हुई पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से किया। इसके बाद अयोध्या से भरत और शत्रुघ्न को बुलवाकर अपने छोटे भाई कुशध्वज की दोनों पुत्रियों माण्डवी और श्रुतकीर्ति का विवाह किया। बड़ी पुत्री माण्डवी भरत को तथा छोटी पुत्री श्रुतकीर्ति शत्रुघ्न को ब्याही गयी।

 श्रुतकीर्ति अयोध्या नरेश शत्रुघ्न की पत्नी थी। राजा दशरथ की यह सबसे छोटी पुत्रवधू थी। इसके अलावा राम, भरत व लक्ष्मण की पत्नियां भी राजा दशरथ की पुत्र वधुएं थी जो श्रुतकीर्ति की बहिनें थी। एक ही परिवार में एक साथ चार बहिनें ब्याही गई थी। ऐसी परिस्थिति में प्रायः पारिवारिक क्लेश और झगड़े होने की संभावना अधिक रहती है। फिर भी इन चारों बहिनों का व्यवहार अत्यन्त स्नेहपूर्ण रहा। इन चारों बहिनों ने सौतेली सासूओं के प्रति भी पूर्ण आदर और सम्मान दिया। इन बहिनों की आपसी समझ से पारिवारिक जीवन में स्नेह बना रहा। इस स्नेह का आधार इन राजपूत बालाओं की सुशीलता, विनय, संयम, सेवा और सैौहार्द्र का भाव था। सचमुच इसी कारण यह परिवार अटूट स्नेह के बंधन से बंधा रहा।

कैकेयी के कारण राम को वनवास तो हुआ पर राजा दशरथ के संयुक्त परिवार में पुत्रों और पुत्रवधुओं को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं हुआ। इतने बड़े परिवार की एकजुटता का श्रेय इस परिवार की नारियों को ही जाता है। कैकेयी की मांग ने परिवार में एक विस्फोटक स्थिति पैदा कर दी पर इस स्थिति को राजा दशरथ के परिवार के हर सदस्य ने बड़ी संजीदगी से संभाला। राम के वनगमन का अनुगमन सीता और लक्ष्मण ने किया। भरत ने राज्य अधिकार का परित्याग कर भ्रातृत्व प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस बदली हुई परिस्थिति में जहाँ कौशल्या, सुमित्रा, उर्मिला और माण्डवी ने पारिवारिक संगठन को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वहीं इस परिवार की सबसे छोटी बहू होने के नाते श्रुतकीर्ति ने अपने कर्त्तव्यपालन के माध्यम से इसमें पूर्ण योगदान दिया। इस परिवार की राजपूत नारियों से प्रेरणा लेकर आज क युग की राजपूत नारियां अपनी पारिवारिक स्थिति को मजबूत बना सकती हैं। श्रुतकीर्ति के सुबाहू और शत्रुघाती नामक पुत्र उत्पन्न हुए।
 
 

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